दर्द क्या होता है बताएँगे किसी रोज
कमाल की गज़ल तुमको सुनायेंगे किसी रोज 
थी उनकी ज़िद की मैं जाऊ उनको मनाने
मुझको ये बहम था वो बुलायेंगे किसी रोंज 
उस रब की कसम मैंने तो सोचा भी नहीं था
वो इतना मेरे दिल को दुखायेंगे किसी रोज 
हर रोज आईने से यही पूछता हूँ मैं
क्या रुखसार पे तबासुम भी सजायेंगे किसी रोज 
उड़ने दो इन परिंदों को आजाद
फिज़ा में
घर होंगे तुम्हारे तो पलट
आयेंगे किसी रोज़ 
दर्द क्या होता है बताएँगे किसी रोज
 Reviewed by Digital Bane
        on 
        
July 31, 2014
 
        Rating:
 
        Reviewed by Digital Bane
        on 
        
July 31, 2014
 
        Rating: 
       Reviewed by Digital Bane
        on 
        
July 31, 2014
 
        Rating:
 
        Reviewed by Digital Bane
        on 
        
July 31, 2014
 
        Rating: 
 

 
 
 
No comments:
Post a Comment