बात दिन के नाही, अब रात से दर लागता बा
घर बा कचा हमार, अब बरसात से दर लागत बा
तोहरी
तोहफा ने त बस खून के आंसू ही दिहलस
जिन्दगी अब तोहरे
सौगात से दर लागत बा
प्यार
के छोड़ के तू आउर कौनो बात कर
अब
हमके प्यार के हर बात से दर लागत बा
हमरे खातिर ना उ कही
बदनाम हो जावे
एही
खातिर उनके मुलाक़ात से दर लागत बा
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